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यात्रा का सफ़र. -आकांक्षा शर्मा









अपनी जिंदगी सभी को बहुत पसंद होती है कोई घूमना पसंद करता है तो कोई खेलना आज मैं वही घूमने के बारे में बात कर रही हूं जैसे कि पिछले साल मैं वैष्णो देवी गई थी उसे पिछले साल में खूब होता है घूमने का जिससे हमारी अंतरात्मा को एक अलग ही शांति मिलती है यह बात समझ नहीं आएगी यह बात हमें महसूस होती है कि घूमना हमारे लिए कितना जरूरी है हमारा शरीर। बोरियत से बोर हो जाता है एक जगह पर हम बार-बार वही चीजों को महसूस करके फस जाते हैं जिससे हमारी तबीयत खराब होने का भी खतरा होता है लेकिन घूमने में जो संतुष्टि है अलग ही होती है जैसे कि अगर आप कहीं बाहर जाओगे तो आप किसी को गोवा जाना पसंद है जहां पर एक कोल्ड और एक अलग ही नए जमाने का माहौल होता है कोई धार्मिक स्थानों पर जाना पसंद करता है लेकिन हमारे। मस्तिष्क को जो पसंद है वह हम कभी-कभी समझ पाते हैं हम कई बार उन जगहों पर जाना पसंद करते हैं जहां पर हमारे मस्तिष्क का विकास होता है जैसे पुरानी जगह पर जहां पर पहले बड़े बुजुर्गों ने हमारे पीढ़ियों ने एक बहुत ही अच्छी कलाकारी से उन इमारतों को सजाया हुआ है यही बात में आज आप सबको अपने शब्दों में समझाना चाहती हूं कि अगर आपको घूमना पसंद हो तो एक बार जरूर। जाएं और घूम कर देखें कि आपकी आत्मा आपके मन को जो संतुष्टि मिलेगी वह एक अलग ही स्तर पर होगी सभी को बहुत पसंद होता है लेकिन जिन लोगों को नहीं होता या तो वह अपनी जिंदगी नहीं जीते हैं अभी आपके जीना भूल जाते हैं अगर आपके साथ कोई हादसा हुआ है तो भी आप बाहर घूम के अपने मन को शांत कर सकते हैं धन्यवाद।

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